ग़ज़ल लिखते लिखते हम ग़ज़ल हो गए,
ग़ज़ल हो गयी ज़िन्दगी
हम ज़िन्दगी के हो गए
रह ना पाई आँखों में नींद
फिर भी हम सो गए,
ग़ज़ल लिखते लिखते हम ग़ज़ल हो गए
हर तरफ शोर है,फिर भी ना हमने सुना
हम बहरे भी हो गए
ग़ज़ल लिखते लिखते हम ग़ज़ल हो गए
आग लगी है हर तरफ,
अरमान हो गए बरफ
ग़ज़ल लिखते लिखते हम ग़ज़ल हो गए
लगी थी भीड़ वह भी
ढून्ढ ना पाए हम खुद को कभी
ग़ज़ल लिखते लिखते हम ग़ज़ल हो गए
2 comments:
tum ho itni pyari
sabse nayari isliye
gajal likte likhte tum khud gajal ho gayi
thanks sis for wonderful reply.
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