ना राहे ना मंजीले मिली
मिली तो बस सजा मिली
राहों में फूल मिले ना मिले,
काटों की तड़प मुनासिब मिली
डगमगाते है कदम,
आखिर क़दमों में इतनी हरकत क्यूँ है?
सोच सोचकर सूज गया है दीमाग
राहत मिले ना मिले
आँखें निकल आई है बाहर
आखिर इनायत कब होगी
आँखों में अश्क मिले ना मिले
नमी तो होगी
फिर आएगी चमक इन आँखों में
कभी तो खुदा की करामात होगी
सुकून मिले ना मिले
ये इल्म है हमें
हर तरफ मेरे नाम की बारिश होगी
अक्स में दम है अगर
मुश्किल कितनी भी हो डगर
एक दिन मेरी ये हसरत पूरी तो होगी
5 comments:
अक्स में दम है अगर
मुश्किल कितनी भी हो डगर
एक दिन मेरी ये हसरत पूरी तो होगी
nice poem :)
thanks dear for inspiring me.
bahut khoob!
wah!
tumhari har hasrat poori hogi!
thanks magiceye for beautiful comment.
Khusboo to bahut hai Kavita main
magar phoolo ke tarah dukho ke kantay bhi hai
Na kar itna gum tu zalim
hasrat to teri hogi zaroor puri
Magar kahi aisa na hoon
ki khushi se ansoo chalak jaye
Aur lab muskra uthay
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