किसी गिरते को उठाए तो कोई बात बने,
और रोते को हंसाये तो कोई बात बने
प्यार अपनों से तो हर कोई निभा लेता है
प्यार गैरों से निभाए तो कोई बात बने
और रोते को हंसाये तो कोई बात बने
कांटे राहों में बिछाना तो कोई बात नहीं,
फूल रहो में बिछाये तो कोई बात बने
हंसके खुशियों में हो जाती है दुनिया शामिल
किसी के दुःख दर्द में काम आये तो कोई बात बने
और रोते को हंसाये तो कोई बात बने
राम अल्लाह को रिझाना तो मुबारक है मगर
उसके बन्दों को रिझाये तो कोई बात बने
और रोते को हंसाये तो कोई बात बने
8 comments:
what a nice gazal....all the best :)
Bahut khoob!!
thankssssssssssss both of u.
Rote ko hansaye to baat bane !
bahut achha hai !
Dhanyawad !
http://savadhan.wordpress.com
Pratibha, must say, great going! bahut payaari gazal hai. insaniyat se bada hoi dharm nahi hota, so wonderfully presented.
am so glad to read ur poem dear, keep blogging!
actually is theraupic, even for me.
restless
THANKS RESTLESS AND SIR.ghazale abhi aur bhi rahon mein dekhna hai pen kaha tak saath dega.aur aap logo ki inayat rahi to door talak jayegi.
bohot achchi poem hai didi....i loved the last stanza most
thanks rachu dear.
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