राखी की डोर छोटी सी है
मगर इस बंधन की किस्मत छोटी नहीं
मीलों दूर हैं भाई
सूनी हैं उसकी कलाई
ये सोचकर बहिन की आँखें भर आई
भेजी है दिल से राखी
उमीदों दूआओ में लिपटी राखी
हर ख़ुशी उसे मिले
हर ख्वाहिश हो उसकी पूरी
येही गुज़ारिश हैं भगवान् से
बस यही मांगता हैं दिल हर वक़्त
गर रही भगवान् की इनायत
तो हर ख्वाहिश पूरी होगी
4 comments:
rakhi ki doorr hai choti magar ish bandhan ki kismat choti nai :)
Happy Raksha Bandan Pratibha.. Welcome back... I like your blog template a lot.. It is very beautiful and bright..
Someone is Special
Welcome Back Prats..
Beautiful poem :)
Missed you so much dear...
मैं रहूँ ना रहूँ
क्रान्ति की ये मशाल
युही जलती रहनी चाहिए
ekdam sahi baat hai ... ye ladhai zaari rahna chahiye ...
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